Nagesh Tejwani
1 min readJun 6, 2020

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एक उम्र गुजर गयी कुछ ख्वाब देखते हुए

एक उम्र गुजर गयी कुछ ख्वाब देखते हुए
हमने कुछ हसरतो को मुकम्मल होते हुए नही देखा

कुछ परिंदे है यह मेरे आशियाने के
जिन्हें हमने कभी उड़ते नहीं देखा

दर्द से सराबोर है आँखों का समंदर
हमने कुछ ज़ख्मो को सूखते नहीं देखा

उम्मीद में जिये थे कुछ और साल हम
वादों को जब तक हमने टूटते नहीं देखा

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